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तीन लोगों को मारने वाले आदमखोर लेपर्ड को पकड़ा:5 दिन से वन विभाग और आर्मी तलाश में जुटी थी, पिंजरे में कैद हुए दो तेंदुए Viral News

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G7 News | Viral News उदयपुर से 45 किमी दूर गोगुंदा ग्राम पंचायत में 2 लेपर्ड को पकड़ लिया गया है। दरअसल, गोगुंदा की छाली ग्राम पंचायत के तीन गांवों में लेपर्ड ने 2 दिन में 5 किलोमीटर के दायरे में 3 लोगों को मार डाला था। इससे पूरे इलाके में दहशत थी। वन विभाग और आर्मी की टीम लेपर्ड की तलाश में जुटी थी।

गोगुंदा एसडीएम नरेश सोनी ने बताया- पंचायत के उमरिया गांव में सोमवार देर रात वन विभाग के लगाए गए पिंजरे में 2 लेपर्ड कैद हो चुके हैं। पिंजरे में मांस और मछली की गंध वाला पानी रखा गया था। इसे खाने के लिए लेपर्ड पिंजरे में घुसे और कैद हो गए। सूचना मिलने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।

लेपर्ड पकड़े जाने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है और वन विभाग की टीम का आभार जताया है।
पिंजरों में कैद हुए 2 लेपर्ड में से एक है बूढ़ा
मुख्य वन संरक्षक सुनील छिद्री ने बताया- सोमवार रात करीब 1 से 2 बजे के बीच 2 अलग-अलग पिंजरों में 2 लेपर्ड कैद हुए हैं। इनमें एक बूढ़ा लेपर्ड है, जिसके कैनाइन दांत (लंबे-नुकीले दांत) नहीं हैं। सामान्यत: लेपर्ड में 4 कैनाइन दांत होते हैं। इनमें 2 ऊपर और 2 नीचे होते हैं। इसी से लेपर्ड अपना प्राकृतिक शिकार करते हैं।

बूढ़े लेपर्ड के दांत नहीं होने से वह अपना प्राकृतिक शिकार नहीं कर पा रहा था। इसके लिए इंसानों पर अटैक करना आसान था। इसलिए संभावना है कि जो 3 लोग मारे गए हैं, वे इसी बूढ़े लेपर्ड ने मारे हैं। हालांकि इसे लेकर हमारी टीम कई पहलुओं पर एनालिसिस कर रही है। इसके बाद ही स्पष्ट रूप से पुष्टि हो पाएगी।

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सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क लाए गए दोनों लेपर्ड
दोनों लेपर्ड को उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क लाया गया है। बताया जा रहा है कि पिंजरे में आने के बाद दोनों लेपर्ड छटपटा रहे थे। उसी दौरान उनके मुंह पर मामूली चोट लग गई। थोड़ा खून भी बहा। सज्जनगढ़ में वेटरनरी डॉक्टर इनका इलाज करेंगे। स्वस्थ होने के बाद वन विभाग इन दोनों लेपर्ड को रखने को लेकर कोई निर्णय लेगा।

उदयपुर के गोगुंदा में 60 से ज्यादा कर्मचारी-अधिकारी आदमखोर लेपर्ड को तलाशने में जुटे थे।
उमरिया गांव में 6 पिंजरे लगाए गए
उमरिया गांव में 20 सितंबर को लेपर्ड ने 50 वर्षीय महिला हमेरी भील को मार डाला था। वन विभाग ने घटना के बाद यहां से लेपर्ड के पगमार्क लिए थे। यहां उसी दिन अलग-अलग जगह 3 पिंजरे लगाए गए थे। रेस्क्यू टीम को निगरानी के दौरान यहां लगातार 2 दिन तक लेपर्ड का मूवमेंट दिखाई दिया।

लेपर्ड 22 सितंबर को पिंजरे के आसपास भी नजर आया, लेकिन पिंजरे में नहीं घुसा। ऐसे में वन विभाग को उम्मीद थी कि यहां लेपर्ड का ज्यादा मूवमेंट है तो वह पिंजरे में जरूर कैद होगा। 3 पिंजरे और लगाए गए। इसके बाद 23 सितंबर को देर रात 2 लेपर्ड पिंजरे में कैद हो गए।
60 से ज्यादा कर्मचारी तलाश में जुटे थे
गोगुंदा में 5 दिन से 7 टीमों में 60 से ज्यादा कर्मचारी-अधिकारी रात-दिन आदमखोर लेपर्ड को तलाशने में जुटे थे। इनमें वन विभाग की सिरोही, राजसमंद, जोधपुर, उदयपुर और स्थानीय गोगुंदा की रेस्क्यू टीम शामिल रही। इसके अलावा आर्मी की टीम और उदयपुर से वाइल्ड लाइफ की एक अलग टीम सर्च ऑपरेशन में लगी रही। राजसमंद से 1 और जोधपुर से 2 शूटर लेपर्ड को ट्रैंकुलाइज करने के लिए फील्ड में तैनात किया।

छाली ग्राम पंचायत को कंट्रोल रूम तब्दील कर दिया। डीएफओ अजय चित्तौड़ा, गोगुंदा एसडीएम नरेश सोनी, सायरा तहसीलदार कैलाश इडानिया बैठकर पूरी मॉनिटरिंग करते रहे। जंगल में लेपर्ड की लोकेशन मिलने पर कंट्रोल रूम में संदेश आता और तुरंत रेस्क्यू टीम को उस लोकेशन पर भेजा जाता। ग्रामीणों ने भी वन विभाग की रेस्क्यू टीम का सहयोग किया।

लेपर्ड को ट्रैंकुलाइज करने के लिए फील्ड में तीन शूटर तैनात किए गए थे।
ड्रोन कैमरों और नाइट विजन दूरबीन से निगरानी
लेपर्ड को जंगल में ढूंढने के लिए वन विभाग ने कई तरह के संसाधनों का सहारा लिया। 2 ड्रोन कैमरे से जंगल में लेपर्ड की लोकेशन ट्रैक करने की कोशिश होती रही। 23 ट्रैप कैमरों से निगरानी की जा रही थी। रात में नाइट विजन दूरबीन से लेपर्ड को दूर तक जंगल में तलाशा गया।

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